Saturday, June 13, 2009

मोहल्ला पर बहस

मोहल्ला पर बहस में हम भी कूद पड़े, सवाल था कि भाई, छोटे वस्त्र: दुर्व्यवहार करने का न्यौता ! और गंभीर बात ये कि इस पोस्ट के लिखक मुस्लिम थे, और उन्होनें इस्लाम में परदा प्रथा के बारे में बताई गई बातों को कुरान के उदाहरणों से स्पष्ट किया। हालांकि मैं भी परदा प्रथा के खिलाफ हूं, पर न जानें क्यों जो प्रतिक्रिया मिली न वो बेहद बुरी थी, टिप्पणियों के कॉलम में मानों सारे लोग सोचे बैठे थे कि आज अपना सारा गुस्सा उतार देंगे इस मुस्लिम समाज पर। हर कोई नफरत की बंदूक भरे बैठा था, और सीधा ब्लॉग का ही बहिष्कार करनें को आमादा है....

अविनाश भाई, मुझे नहीं पता कि जिन लोगों ने प्रतिक्रिया दी है वो पत्रकार हैं या लेखक, वो संघी है या कम्यूनिस्ट य़ा फिर चौराहे की रौनक, जिन्हें कि चौक पर खड़े हो कर ज्ञान बघारनें में मजा आता है और किसी अन्य की बात सुननें पर बवाल करनें में।
हो सकता है कि आप लेखक के लेख से सहमत न हो पर, उसका तार्किक विररण किया जा सकता है, पर जिस प्रकार के कमेंट मिल रहे हैं, वो सही नहीं लग रहा, आप सीधा ये कह रहे हैं कि 'इन सालों के साथ जो गुजरात में हुआ वो ठीक है"। भाईयों लेखक अपनी बात को रख रहा हैं, वो बात किसी धर्म विशेष से जुड़ी है, जिसका जिक्र भी किया उन्होनें उस धार्मिक ग्रंथ को कोड करके...। मेरे मित्रों हम यहां केवल बोलनें या ज्ञान बघारनें के लिए नहीं आते हैं, हमें सुनना भी होगा,समझना भी होगा। मैं फेवर नहीं करता बुर्खा प्रथा का, पर हिंदु धर्म में भी तो परदा प्रथा आज तक चली आ रही है। आप और हम केवल एक धर्म विशेष को घृणा की नजरों से आंकना जब जक नहीं छोड़ेगे तब तक कोई अपनी पुरानी रूढ़ियों को तोड़कर हमारे साथ मिलकर चलनें को नहीं तैयार होता। अगर कोई हिंदू लेखक इसी विषय को उठाता तो शायद इतनी तो कड़ी प्रतिक्रिया नहीं मिलती की ब्लॉग का ही बहिष्कार करें। अरे आप भी कहें हम भी कहें औरों को भी कहनें दे, फिर एक स्वस्थ बहस छिड़े कुछ आप सीखें कुछ हम सीखे...माहौल खराब न हो, वरना आपमें और चौक पर हलवाई की दुकान पर खड़े ज्ञान बघारते लोगों में फर्क कर पाना मुशकिल हो जाएगा, वो ज्यादा खतारनाक होगा।

6 comments:

Rangnath Singh said...

mya. aap ke blog ko padha, achha h. aapme muddo ki samajh aur sarokar h. aap ne mohalla par mere liye jo tippani ki h use dekh kar mujhe aashrya hua !!
aur aap ko jyada janane ki lalak me yaha tak pahuch gye.

aap ki tippani se thodi talleef to huyi aur maine turant pratikriya bhi likh di...
khai aap ke pas jo bhi vajah rhi ho !!
shubhkamnavo sahit

नवीन कुमार 'रणवीर' said...

रंगनाथ जी,
मेरे ब्लॉग पर पधारनें के लिए धन्यवाद।
मेरा उद्देश्य आपको तकलीफ पहुंचाना नहीं था।
आपके सुझाव का इंतजार रहेगा...

Rangnath Singh said...

aap apne blog ki halat ko dekh kar samajh gye honge ki market me creative chijo ki kya kadar h !!
avinash ke hi dilli darbhanga chhoti line ka hal dekh lijiye !!
isliye aap se yhi kahunga ki likhte rahiye aur hum jaise thode logo ki mahfil me sajate rahiye.
humne jamia se 2006 me patrkarita ki fir jansatta aur univarta me intern kiya. jaha gya waha hi logo ne patrakarita me aane se mana karte the. maine BHU e math hons kiya tha isliye kayi log usi taraf lautane ki ray dete the. khair maine ek bar fir nyi rah chuni. comparative religion me M A kiya, usi me J R F nikal kar thoda suerakshit hua. time aur mood ke hisab se freelancing karta rahta hu

Rangnath Singh said...

aap kaha kaam karte h ?
asuvidha na ho to kuchh parichay dijiye
isi field me aap bhi h to kbhi na kbhi milna ho hi jayega

mai mohalla par yu hi pahuch gya tha jaise aap ke blog par pahuch gya hu. us din vaha religion se judi post thi maine apni ray rakhi. uske kuchh din bad feminist issue par post aayi usase bhi mera gahra sarokar h isliye likha.
fir religion par saleem miya ki post aayi to....

Rangnath Singh said...

aap anyatha na le to ek sujhav dunga chaupal bahut khoosurat title h, aap ko thik lage to oblique me roman me likha hata denge to jyada sundar lagega. vaise bhi jo devnagari nhi samajhte unhe yaha aana bhi gavara nhi hoga.

shubhkamnavo sahit

नवीन कुमार 'रणवीर' said...

रंगनाथ जी आपका धन्यवाद आप मेरे ब्लॉग पर पुन:पधारे। मैनें आईआईएमसी से हिंदी पत्रकारिता में डिप्लोमा लिया औऱ वहां से ही स्टार न्यूज़ में नौकरी पाई, 13 महीनें किसी तरह पत्रकारिता का बलात्कार देख-देख खुद को नपुंसकता से दूर कर दिया। 1 मई 2009 को नौकरी छोड़ दी। मेरे आदर्शों(मेरे टीचर और मां-बाप) के कहनें पर मुशकिल से एक साल बिता पाया। ब्लॉग के बारे में आपके सुझाव पर गौर करुंगा। अभी मैनें मोहल्ला पर फिर कुछ कमेंट किया है प्रमोद वैष्णव भाई की पोस्ट पर जरूर पढ़िएगा। पुन: पधारनें का आग्रह।
आप मुझे मेल कर सकते हैं।
ranvir1singh@gmail.com