
कहावत सुनी होगी की राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट, वास्तविक परिदृश्य में आरूषि नाम की सेल फिर खुली है...
आई-आई आरुषि आई... डिस्काऊंट है भाई, डिस्काऊंट है भाई...
नोएडा से खुर्जा, बना कल-पुर्ज़ा, खूब सजाओं रनडाऊन में,
क्या रखा है ख़बर फाऊंड में...
आई-आई आरूषि आई...
शिफ्ट इंचार्ज की बला टली, कहां से लाएं वापस खली,
शुक्र है कि मोबाईल मिल गया, प्रड्यूसरों का चेहरा खिल गया,
आई-आई आरूषि आई...
खूब चैप्टर प्लेट लगाओं, कोइ नया जासूस बुलाओ,
कोई जाकर स्टिंग कटवाओं, एक बढ़िया प्रोमों बनाओं,
आई-आई आरूषि आई...
एक ओबी वहां लगाओ, एक ओबी यहां लगाओ,
सारी ओबी जल्दी बुलाओ,
आई-आई आरूषि आई... कोई ब्रेकिंग की पट्टी चलाओ, कोई जाकर हाथ छपाओं,
कोई जाकर नौकरानी को लाओ, कोई जाकर बाईट ले आओ...
आई-आई आरूषि आई...
बहुत काम है क्या करते हो?, जल्दी लाओ कोई बड़ा सैटर,
टीआरपी का है ये मैटर,
आई-आई आरुषि आई...
7 comments:
fantastic!!
acchi hai..
sahi kaha apne arushi ke saath sympathy ki jagah sab TRP ke liye use use kar rahe hai..........
सही कहा भाई !
टीआरपी हमें कहाँ से कहाँ ले आई,
हम आसुओं से भी कर रहे कमाई.
accha likha hai ji app ne tussi to chaa gye jii.
Haan janab aarushi kahaani nahi kain channel ki Roji roti hai, kain gharon ki aurton ka timepass hai aur aapki kavitha ka hisab kithaab hai
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