Monday, March 2, 2009

लोकसभा चुनावों की घोषणा

लोकतंत्र के महासागर में,
लेकर चले सब अपनी नाव...
कोई जहाज तो, तो कोई बेड़ा,
कोई लगता कश्ती दांव
जाति-धर्म को चप्पू थामों,
पड़े फिर कैसे लहरी घाव
लोकतंत्र के महासागर में...
छोटे बड़े सारे घाघ
भिड़ेंगे ले के एक ही राग...
हम सच्चे है-हम सच्चे है
दोनों लेंगे वादे साज...
घोटालों के बड़े बवंडर,
जामै फसते नेता अंदर
जे ऐसों सागर है भैय्या,
जामै बनें नेता खिवय्या...
सभी जुतें है करने राज
हर कोई चाहे पहने ताज
ताज-राज की जे लड़ाई
जामै जन की शामत आई
नेताअन एक ही काम
भीड़े जो जनता सुबह-शाम
उन्है मिलैगो पांच साल को आराम...
ये लोकतंत्र को सागर ...
भर लो पांच साल की गागर
पग मैं पड़ैगों कैसे कांकर
ले लो वोट घर-घर जाकर,
अपनी-अपनी नैय्या संभाले
सगरै नेता लगे रिझाने
वोट दे दो, वोट दे दो
रोज लगैगो वोट को भाव
लोकतंत्र के महासागर में
लेकर चले सब अपनी नाव...

नवीन कुमार 'रणवीर'

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