Wednesday, July 15, 2009

कौमार्य की अग्निपरीक्षा!

मध्य प्रदेश का शहडोल जिला आजकल सुर्खियों में हैं, क्यों है? शायद आप सोच रहे होंगे की विकास पुरुष की संज्ञा दिए जानें वाले शिवराज सिंह चौहान नें कोई नया करतब दिखाया होगा... विकास का नया मॉडल पेश किया होगा... आपको बताते हैं कि इस विकास पुरुष ने किस प्रकार एक तुगलकी फरमान से जनकल्याण की योजना बनाईं है। मध्य प्रदेश सरकार के कन्यादान योजना के तहत शहडोल जिले में दलित और आदिवासी महिलाओं के सामूहिक विवाह का आयोजन कराया गया। जिसमें कि सरकार नें 152 लड़कियों की शादी करवानें की व्यव्स्था की। सरकार इस योजना के तहत प्रत्येक लड़की को 5 हज़ार रु और घरेलू सामान देती है। "कन्यादान योजना" यानि सरकार (गरीबों) दलितों और आदिवासियों की बेटियों का कन्यादान करेगी जिसे कि हम यूं भी समझ सकते हैं कि सरकार के मुखिया तो राज्य के मुख्यमंत्री माननीय विकास पुरुष, हिंदू हृदय सम्राट, शिवराज सिंह चौहान हैं। अब ये राज्य की अपनीं बेटियों का कन्यादान किस प्रकार करते हैं आपको बताते हैं... इस योजना को सरकार कल्याणकारी योजना करार देती है और इसके तहत सामाजिक सभ्याचार के नए तानें-बानें बुनती हैं। एक संदेश इस रूप में भी देती हैं कि हम दलितों और आदिवासियों के कितना हित साधते हैं।
लेकिन सच्चाई जान कर आप स्वंय फैसला करेंगे की ये कौन से सभ्य समाज का नियम हैं जहां पर शादी से पहले किसी लड़की को अपनें गर्भवती न होनें के सबूत देनें होते हैं? जी हां दोस्तों ये बात बिल्कुल सही है कि इस प्रकार(सरकारी खज़ानें से) यदि किसी गरीब दलित या आदिवासी लड़की को शादी करवानीं है तो उसे अपनी मेडिकल जांच करवानी होती है, कि कहीं वो लड़की गर्भवती तो नहीं है? ये सवाल करती है मध्य प्रदेश सरकार और वो भी स्वंय के प्रमाण के बिना माननें को तैयार नहीं होती की लड़की झूठ तो नहीं बोल रही। आप सोच के देखिए की क्या भारत में होनें वाले सारे विवाह क्या इसी कसौटी पर होते हैं ? और यदि ऐसा होता है तो आपको और इस तथाकथित सभ्य समाज को और ऐसी सरकार को अधिकार है इसे सही साबित करनें का! इस मुद्दे पर जब विकास पुरुष शिवराज सिंह चौहान से पूछा गया तो सिंह साहब कहते हैं कि "प्रेगनेंसी टेस्ट नहीं करवाया गया है कौमार्य परीक्षण(वर्जीनिटी टेस्ट) करवाया गया है"। जी साहब वाह! आप तो महान हैं! मात्र 5000 हजार रूपयें में आपकी सरकार को ये अधिकार मिल जाता है कि आप किसी दलित औऱ आदिवासी लड़की से ये जान सकते हैं कि आपकी महावारी(पीरियड्स) कब हुई थी? आपनें कभी सेक्स तो नहीं किया ? यही ना... और क्या होता है कौमार्य परीक्षण ? क्या पता लगाना चाहती थी आपकी सरकार? मात्र पांच हज़ार रुपयों के लिए आप किसी भी लड़की को मज़बूर करते हैं कि वो अब आपसे अपनें चरित्र का प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगी? सवाल बहुत निकलकर आते हैं...म.प्र सरकार की ये योजना यदि सवर्ण वर्ग की गरीब लड़कियों के लिए होती तो क्या सरकार ऐसा कोई नियम काय़दा बनाती? यदि बनाती तो क्या हमारे समाज के तमाम धर्मावलंबी (ख़ासकर आपकी पार्टी के लोग) इसे उतना ही वाज़िब ठहराते जितना की आज ठहरा रहे हैं? या आपकी विचारधारा में ये महिला की अग्निपरीक्षा की प्रासंगिकता है? आपका ये तुर्रा है कि ये जो महिलाएं होती है ऐसे विवाह में 5000 रु. के लालच में शादीशुदा होनें के बावजूद इस योजना का लाभ उठाती हैं, इसीलिए हमारे जांच करनें पर हमें 14 लड़कियां प्रेगनेंट पाई गईं, और बात भी तय है कि उन उन गरीब लड़कियों को ऐजेंटों द्वारा उनकी गरीबी का लाभ उठाकर ऐसे विवाहों में भेजा जाता हैं, उसके लिए आपकी सरकार कुछ नहीं करेगी। सारा ज़ोर आपका जो है वो महिलाओं पर ही चलता है। शिवराज जी आप साइकिल चलाकर मीडिया को बताते हैं कि मैं पैट्रोल की बचत करता हूं औऱ साईकिल से ऑफिस जाता हूं, लेकिन अब आपकी ये नई योजना है कि सरकारी लाभ यदि किसी को मिले तो वो भी कौमार्य परीक्षण के बाद, आप केवल लड़कियों का ही क्यों कौमार्य परीक्षण(वर्जीनिटी टेस्ट) करवातें हैं? लड़को का भी तो करवाइयें? क्या पता कोई लड़का किसी और महिला का पति हो? या पहले से किसी बच्चे का बाप हो? क्या पता की वो पहले से भी कभी-न-कभी सेक्स करता आ रहा हो? क्य़ा पता कि आपका वो "मर्द" बिना शादी के ही बाप बना हुआ हो? क्या सबूत होता है आपके पास उस "मर्द" कौमार्य का? मेडिकल साइंस की ऐसी कौन सी तकनीक से पता लगाएंगे आपके डॉक्टर कि इस युवक/नौजवान/आदमी/पुरुष/मर्द ने आज तक सेक्स नहीं किया? किसी के बच्चे का बाप नहीं है? किसी औरत़ का पति नहीं है? या कि ये कि वो बाप बननें वाला है या नहीं?
गर्भ में यदि बच्चा हो तो अल्ट्रासाउंड के जरिये लिंग की जांच करवाना गैर कानूनी है लेकिन शादी से पहले लड़कियों का कौमार्य परीक्षण(वर्जीनिटी टेस्ट) करवाना शायद ये कानून बन गया हो मध्य प्रदेश में! और यदि यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं की हर लड़की को शादी से पहेल किसी एमबीबीएस, गायनाकॉलोजिस्ट से चरित्र प्रमाण-पत्र बनावाना होगा। खैर राम राज्य के लिए शायद ये प्रसंग भी आवश्यक है बिना इसके(अग्निपरीक्षा) आपके राम राज्य़ की अवधारणा वास्तविकता में कैसे परिवर्तित होगी भला...!

2 comments:

Sanjay Grover said...

EKDAM SATEEK !

विजय प्रताप said...

और कहते हैं की हम २१ वीं सदी के लोग हैं. ऐसे तो आदिम युग में भी नहीं होता होगा.