खुल गया लिब्रहान का पिटारा
जिसे बचाऐ था यूपीए हमारा,
था शुभ मुहूर्त का इंतज़ार
जैसे ही बड़ी गन्नें और महंगाई की बौछार,
खोल दिया पिटारा,
जनता भूल गई सब मार...।
भूल गई सब मार, बाबा लिब्रहान आ गए,
कुछ पुरानें ज़ख्मों को कुरेद कर,
फिर दवा लगा गए...
और कौन-कौन था बेचारा?
ये एहसास करा गए...
ये एहसास करा गए औऱ,
जनता थी हैरान? कि सत्रह साल खा गए,
अब गृह मंत्रालय के पिटारे से,
बिन आदेश आ गए?
बिन आदेश आ गए…
अरे,ख़बर तो भिजवाई होती?
संघी तैयार हो जाते,
और राजनीति के पतीले में,
सांप्रदायिकता का फिर छौंका लगाते...।
पर क्या करते कांग्रेसी भी,
मौका बढ़िया जो मिला था,
एक बार फिर सदन में,
मुद्दों का दौर जो चला था।
जो घिर जाते इस बार, तो कहीं के ना रहते
कौन रहता मित्र और किसे सखा कहते?
खुद अकेले खड़े रहते सदन में,
खुद अकेले खड़े रहते सदन में...
ना वाम संग था ना दाम(महंगाई)
और क्या बताते किया जो काम?
बस बढ़ाया दाम...बस बढ़ाया दाम...।
महंगाई की ही पूछै यूपीए खैर,
बस नोटन सै दोस्ती, और जनता सै बैर...।
सूखा और किसान, भ्रष्ट और बेईमान,
सब है समान....औ फिर भी कहे यूपीए,
“मेरा पीएम महान”।
मौका बढ़िया था, ब्रह्रास्त्र छोड़नें का
धर्मनिरपेक्षता की भौंटी नोंक को,
फिर पैंना कर लो...
खुद को साफ़ रखकर, देश को मैला कर दो...।
92वें की कालिख़ में,
92वें की कालिख़ में...
कांग्रेस की कमीज़ चिट्टी निकली,
कह गए बाबा लिब्रहान 17 साल बाद,
कभी बिठाया कमीशन,
तो फिर ना दूंगा साथ...
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1 comment:
librhan aayog ke leak hone ki sachayi jag jahir hai...ab kya kaha jaye..
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