जो दिया उसने,
उसे ही मान लिया अपना मैनें,
जो दिया उसने,
उसे ही जान लिया सपना मैनें...
जो दिया उसने,
उसे कभी ना न कर पाया मैं...
लिखा मान अपनी किस्मत का,
कहा मान लिया उसका मैनें...
अब न आस है कुछ पाने की,
ना राह है कहीं जाने की,
है हवाले उसके मेरी मंजिलों की डगर,
वो मालिक है ले जाए जहां मेंरी जिंदगी का सफ़र...
Tuesday, October 4, 2011
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